इतनी शक्ति हमें देना दाता,
मन का विश्वास कमज़ोर हो न।
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे,
भूलकर भी कोई भूल हो न॥
हर तरफ़ ज़ुल्म है बेबसी है,
सहमा-सहमा-सा हर आदमी है।
पार सच का है रास्ता देखा,
उस पे हो कोई तो हो हमी हो॥
इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो न॥
जब ज़ुल्मों का हो सामना तब,
आत्मा में ग़ुस्सा ना आए।
सच का पथ न छोड़ें कभी हम,
झूठ से न कोई डर पाए॥
हमने जब भी किया है अंधेरा,
दूर से ही सवेरा पुकारे।
हमको सच्चाईयों का सहारा,
झूठ से न कोई डर पाए॥
इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो न॥